MP-Rajasthan Cough Syrup Death: कफ सिरप से हुई मौत की ये है असली वजह?
राजस्थान, मध्य प्रदेश में अचानक से हो रही बच्चों की मौतों ने एक तरीके से सरकार और पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा किया है। सवाल इस बात का कि आखिरकार क्यों हो रही हैं मौतें और उसके लिए जिम्मेवार कौन है?
सेक्रेटरी फाइनेंस डॉक्टर पीयूष जैन ने कहा हैं।
देखिए जिस तरह की भी रिपोर्ट्स आई हैं अभी ये एमपी और राजस्थान में जो बच्चों की डेथ हुई है एक तो ज्यादातर बच्चे जो हैं दो से पांच साल के बीच के हैं और ऐसा देखा जा रहा है कि कोई कफ सिरप पीने की वजह से इनकी डेथ हुई है और यह जब कफ सिरप के बाद में कफ सिरप के बारे में और ज्यादा डिटेल में जब जाना गया और इसकी स्टडी की गई तो एक पर्टिकुलर कंपनी है जिसके कफ सिरप जिसमें डेक्सोमथोरफन ब्रोमाइड करके एक साल्ट है उसकी वजह वजह से यह वाला कप सिरप है जो इंप्लिकेट हो रहा है। अब यह नहीं कि अभी कहना अभी क्योंकि यह सब चीजें मैटर जांच में है तो अभी यह कहना मुश्किल है कि यह कारण क्या है इसका कि या तो ये इसकी ओवरडोज हुई बच्चों को उसकी वजह से प्रॉब्लम हुई है या बच्चों ने किसी बिना किसी मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के बच्चों ने पिया है। उनके मां-बाप ने पिलाया है और उसमें फिर वही बात है कि उसमें ओवरडोज हुई है। उसके कॉम्प्लिकेशन की वजह से हुआ है। यह जो डेक्स्रोमथोरफिन ब्रोमाइड वाला सिरप है, इसमें एक यह भी शक है कि इसमें एक कंटैमिनेंट ना हो जो कॉमन कंटैमिनेंट होता है इस तरह की इंडस्ट्रीज में डाईथाईन ग्लाइकॉल या इथाईलीन ग्लाइकॉल अगर उसकी कुछ प्रॉब्लम होती है उससे साइड इफेक्ट होता है तो वो बच्चे की किडनीज़ पे असर करता है। उससे किडनी डैमेज होती है। हम तो यह एक चीज तो यह हो गई। दूसरा जो डेक्सोमथोरफिन ब्रोमाइड है साल्ट इटसेल्फ है वो उसकी अगर ओवर डोजेज हो जाए या बिना किसी सावधानी के लिया जाए प्रॉपर डोज में नहीं लिया जा रहा और छोटे बच्चे उसको ले रहे हैं पांच साल से छोटे बच्चे तो उनको इटसेल्फ उनको ब्रेन में उनको जो है डिजीनेस वगैरह हो सकती है। सीएनएस जो हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम है उसका सप्रेशन हो सकता है या जो हमारा रेस्पिरेटरी सिस्टम है उसमें सप्रेशन हो सकता है और उसकी वजह से काफी सीरियस साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
अगर हम मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में जिस तरह के मामले आए हैं छिंदवाड़ा में भी कफ सिरप ही इंप्लिकेट हुआ है। वहां भी दो तरह की मेडिसिन आई हैं। एक तो डेक्सोथ डेक्सोमथोरफन ब्रोमाइड वाला सिरप है। और ये जो दूसरा सिरप है उसके अंदर क्लोरोफिनायमिन, फिनाइलेफिन और पैरासिटमॉल ये कॉम्बिनेशन है। और ये इस तरह का जो कॉम्बिनेशन है, यह चार साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए। पर यह किस तरह दिया गया, क्यों दिया गया? और बच्चों ने कैसे पिया? यह डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन किया या बिना प्रिस्क्रिप्शन के पेरेंट्स ने केमिस्ट शॉप से लिया या उनको गवर्नमेंट डिस्पेंसरी से मिला है तो वह बड़े बच्चों के लिए दिया गया था। मां-बाप ने छोटे बच्चों को भी दे दिया। अभी इसकी पूरी जांच होनी बाकी है। और डॉक्टर साहब ने जो वहां लिखा होगा डेफिनेटली जरूर 4 साल या पांच साल से बड़े बच्चों को लिखा होगा। लेकिन मां-बाप ने कंफ्यूजन में छोटे बच्चों को दे दिया या उनको लगा कि छोटे बच्चों को देके ट्राई कर लेते हैं। अगर ठीक हो गया ठीक है वरना जाके डॉक्टर साहब को दिखा लेंगे। तो प्रोबेब्ली इस तरह कुछ हुआ है लेकिन इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
जब पियूष जैन से पूछा गया आईएमए इस पूरे मामले को लेकर क्या कर रहा है? क्या आप लोग कोई डेलीगेशन भी भेज रहे हैं या आप लोगों ने कोई पत्राचार वगैरह भी किया है?
पियूष जी ने कहा हम लोगों की तरफ से हमारी अपनी एडवाइज़री है जो हम टाइम टू टाइम अपने डॉक्टर्स जो मेंबर्स हैं हमारे उनको हम रिलीज करते हैं और इसमें हम अपने सभी डॉक्टर्स को एडवाइज़री रिलीज कर रहे हैं कि किसी भी छोटे बच्चे को जो चार साल से छोटा बच्चा है उसमें ये डेक्सोमथोरफिन ब्रोमाइड या ये फिनाइलफिन वाला कॉम्बिनेशन जो है उससे वो बचें और वो ना प्रिस्क्रिप्शन करें उसको। ठीक है? तो निश्चित रूप से आईएमए ने बकायदा इसके लिए एक एडवाइज़री डॉक्टरों को बता रहे हैं कि जो मेडिसिन है बच्चों को और बड़ों को कैसे देना है, क्या देना है और उसके लिए उन्होंने अपनी एडवाइज़री भी जारी की है।
एक बात और डॉक्टर साहब पूछा कि हालांकि पूरी रिपोर्ट तो अभी नहीं आई है। वहां पे और भी ज्यादा आईसीएमआर की स्क्रीनिंग भी हो रही है। तकरीबन 500 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई है। चूहों की स्क्रीनिंग हुई है। पानी की स्क्रीनिंग हुई है। और भी तमाम तरह की चीजों की स्क्रीनिंग हुई है। तो आपको लगता है कि इसमें थोड़ा वक्त जब तक लगता है तब तक क्या करना चाहिए वहां पे?
डॉक्टर साहब ने कहा तब तक यही है कि जो अपना जो गवर्नमेंट सप्लाई में हमारी फ्री मेडिकेशंस दी जा रही हैं उनकी जो कंपनी है जिन कंपनी ने उनको मैन्युफैक्चर किया है उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए। उनके जो सर्टिफिकेशन है कंपनी के पास जो सर्टिफिकेशन है कि उन्होंने जो दवाई मैन्युफैक्चर किया है उसकी उसकी उसकी क्वालिटी कैसी है उसके सर्टिफिकेशन पे गवर्नमेंट को पूरा ध्यान देना चाहिए और उन्हीं दवाइयों को हमें यूज करना चाहिए जिनका सर्टिफिकेशन प्रॉपर हो। नंबर वन, नंबर दो। फिर हमें इस बात पे ध्यान देना पड़ेगा कि जो इस तरह के कफ सिरप्स हैं, 5 साल से छोटे बच्चे को कोई भी कफ सिरप बिना डॉक्टर की एडवाइस के नहीं दिया जाना चाहिए। कुछ ऐसे भी केसेस देखे गए हैं जिसमें कि कंपनी को बैन कर दिया गया। दोबारा से उसी को फिर टेंडर भी दे दिया गया। तो यह सब ये सभी चीजें भी एक वजह हो सकती है। हो सकता है। वही मैंने बताया ना कि जो भी प्रोडक्ट्स जिन कंपनी के प्रोडक्ट्स वहां यूज़ किए जा रहे हैं उन कंपनी का सर्टिफिकेशन और उनका ऑथेंटिकेशन इसके ऊपर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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