OPPENHEIMER अधूरी कहानी । ATOM BOMB की पूरी Kahaani ये है | ATOM BOMB कैसे बनाते हैं ?
जय हिंद आज हम बात करेंगे
परमाणु बम यानी एटम बम और हाइड्रोजन बम के
बारे में की कैसे द्वितीय विश्व युद्ध
यानी की सेकंड वर्ल्ड वार में एटम बम को
बनाया गया ? क्या परिस्थितिया थी ? क्या
मजबूरियां थी ? कौन से वैज्ञानिक थे और कैसे
एटम बम बना इसके बाद हाइड्रोजन बम कैसे
बना इन दोनों के पीछे क्या विज्ञान है ?
न्यूक्लियर फ्युजन यानी
नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन क्या
होता है ? कैसे इतनी सारी ऊर्जा निकलते है ?
ये सारी बात जानेंगे आज की लेख में
शुरू करते हैं ।
तो ये कहानी पुरी शुरू होती
है प्रथम विश्व युद्ध के अंत से जर्मनी वर्ल्ड वार
फर्स्ट हर चुका था और जर्मनी के ऊपर बहुत
दबाव पड़ा । ब्रिटेन फ्रांस इन
सब देश ने जर्मनी पे बहुत दबाव डाला और
कहा की हमारा जितना नुकसान हुआ है विश्व
युद्ध में सबकी भरपाई तुम करोगे । जितना भी
हमें पैसा चाहिए जितने भी हमारा आर्थिक
नुकसान हुआ है सबकी भरपाई जर्मनी करेगा और
इसके लिए इसके साईन भी करा लिया। एक समझौता हुआ
ट्रीटी ऑफ वेर्सैल्लेस। दबा दिया एकदम की
चल पेपर पे साइन कर । तू तो हार गया है साइन
कर और सार पैसा चुका हमारे नुकसान का।
जर्मनी एकदम तक गया इसे कहा गया की अब तुम
कोई सेना नही रखोगे। कोई लड़ाई नहीं लड़ोगे।
तुम सिर्फ पैसा चूकाओ अब जर्मनी ये पैसा
कहां से लायेगा ? भाई कोई भी देश पैसा कहां से
लता है उसकी जनता से । तो क्या हुआ जर्मनी
के अंदर महंगाई बाढ़ गई । हर चीज का प्राइस
बड़ा दिया जनता की जेब से पैसा निकालने लगे।
जर्मनी के अंदर एकदम गरीबी आ गई। देश के
एकदम हालात खराब हो गये ।भुखमरी मच गई। ऐसे
में जर्मनी देश की उम्मीद बने एक बहुत ही
प्रतिभाशाली इंसान एडोल्फ हिटलर। भयानक
भाषण देने वाला इंसान । जो एक बार माइक पर
खड़ा हो जाए तो सबको संबोधित कर ले। उसने
बोला की मैं जर्मनी को वापस सर्वश्रेष्ठ
शक्ति बनाऊंगा विश्व में सबसे शक्तिशाली
बनाऊंगा। जर्मनी विश्व का राज होगा । भड़काऊ
भाषण देने लगे। देखो मैंने प्रतिभाशाली
क्यों लिखा ? क्योंकि टैलेंट तो था इनके
अंदर लोगों को संबोधित करने का ? इसके साथ
साथ 1935 में हिटलर के पास जर्मनी की
सत्ता भी ए गई है । लीडर बन गए
जर्मनी के । इनकी बहुत बड़ी कमी ये थी की
ये जातिवाद बहुत करते थे। इनका मानना था की
एक जाति थी जू जिनको यहूदी कहा जाता है।
की ये जो यहूदी जाति के लोग हैं ना यह
गद्दार होते हैं। गंदी नस्ल के होते हैं ।
गंदे खून के होते हैं । ऐसी सोच हिटलर रखते
थे। और जितने भी जू थे जर्मन के अंदर ये
कहते थे इन्हीं की वजह से हम प्रथम
विश्वयुद्ध हारे हैं। अपनी गलती नहीं है।
वर्ल्ड वार वन हम अपनी गलती से नहीं हारे
हैं। इन जू ने इन यहूदियों ने हमें धोखा
दिया है। हमारे पीठ पे खंजर भूख है। इसलिए
हम हारे हैं। ये गंदा खून है। इनको साफ कर दो।
इनको इन्होंने जेल में बंद कर दिया। इसे
मजदूरी करा दी इनको कंसंट्रेशन कैंप में ले
गए । एकाग्रता शिबीर वहां ले जाकर इनको ना
खाना दिया ना पानी दिया । छोटे बच्चों को
महिलाओं को ऐसे बंद कर रखा था क्योंकि ये
इनके हिसाब से नीचे जाति है।
उनको शिबीर में इनका सामूहिक रूप से
कत्ल भी हुआ। माना जाता है पचास लाख से
ज्यादा यहूदियों को हिटलर ने मरवाया। इन
कैंप के अंदर । खैर जब यहूदियों को इतना
परेशान किया जर्मनी में यहूदियों का इतना
अत्याचार हो रहा था । यहूदी कहां जाते नीचे
देखो तो इटली में इटली में भी ऐसा ही एक
तानाशाह बैठा था। मुसोलिनी यह भी जू को ऐसे
ही परेशान करता था। गंदी जाति के लोग हैं।
यही कहानी रशिया के अंदर भी
थोड़ी बहुत चल रही थी। यहूदियों को दबाया
जाता था । अब जू जाति के लोग यूरोप छोड़ के अमेरिका और
ब्रिटेन भागने लगे क्योंकि यहां रहेंगे तो
मारे जाएंगे । तो यह या तो अमेरिका जा रहे
थे या तो ब्रिटेन की तरफ भागने ग गए थे।
इसमें सबसे बड़ा नुकसान हुआ यूरोप का और
जर्मनी का खास तोर से क्योंकि बहुत बड़े
बड़े ऐसे लोग थे जो यहूदी जाति के थे। बहुत
बड़े-बड़े साइंटिस्ट थे जो भाग के चले गए।
विश्व के एक बहुत ही बड़े साइंटिस्ट
अल्बर्ट आइंस्टीन भी जू है। एक यहूदी थे।
जर्मनी के पास होते हैं ये भाग के अमेरिका
चले गए नील बोहर क्वांटम फिजिक्स टाइप
बहुत बड़ा साइंटिस्ट बहुत बड़ा वैज्ञानिक
जर्मनी से भाग के डेनमार्क गया डेनमार्क
से ब्रिटेन पे यूनाइटेड स्टेटस आर्मी को
फार्मी फार्मी ने दुलता है न्यूक्लियर चेन
और रिएक्शन नाभिकीय चेन रिएक्शन हुआ था
लेज में इतना रिलीज में इतना मोती
जिन्होंने ऑटो वहां के साथ न्यूक्लियर
फैशन यानी नाभिकीय विखंडन की खोज की थी ये
सारे लोग अगर यूरोप या जर्मनी में होते ना
तो एटम बम यह बनाए होते हैं अमेरिका नहीं
बनाया होता यही बुद्धि भ्रष्ट हो गई हिटलर
की अब देखो श्री कृष्णा ने भी भागवत गीता
में क्या कहा है की इंसान की जो जाति होती
है वो उसके कर्म से डिसाइड होती है इंसान
की जो जाति होती है उसका फैसला उसका जन्म
नहीं उसका कर्म करता है हिटलर यह बात नहीं
समझ पे खैर ये जो सारे साइंटिस्ट थे इस
समय यह कहानी ना कहानी क्वांटम फिजिक्स
में यानी एटम न्यूक्लियस इन सब में रिसर्च
कर रहे थे अब यह एटम न्यूक्लियस क्या होता
है थोड़ा सा ये समझ लेते हैं फिर वापस
कहानी पे आएंगे तो देखो हम सभी को पता है
की हम आप ये दुनिया ये समाज ये पूरा आ
यूनिवर्स किस बना है छोटे-छोटे कान से बना
है उसे छोटे-छोटे कान को बहुत छोटे कान
होते हैं उसको हम बोलते हैं एटम बहुत छोटा
होता है परमाणु ठीक है अब ये परमाणु की
खोज किसने की तो कहा जाता है की परमाणु की
खोज जॉन डाल्टन ने की थी डाल्टन से एटॉमिक
थ्योरी भी है परमाणु शास्त्र पे पूरा
ज्ञान दिया था इन्होंने पर ये इतिहासकार
बोलते हैं पुरी तरह से झूठ यह पश्चिम
सभ्यता ने एक झूठ फैलाया है अल में परमाणु
शास्त्र की खोज इससे ढाई हजार साल पहले
भारत के एक बहुत बड़े ऋषि कनाद ने की थी
जब यह बोला ना की यह मेरी डाल्टन एटॉमिक
थ्योरी है महर्षि टंडन ने कहा हॉल मी
परमाणु ढाई हजार साल पहले पूरा परमाणु
शास्त्र लिख के जा चुके हैं
ऐसा बहुत सारे इतिहासकार मारते हैं की
यूरोप की तुलना में जो एशिया के वैज्ञानिक
थे जो भारत के प्राचीन वैज्ञानिक थे जो
भारत के ऋषि थे इनके पास बहुत सर ज्ञान था
खैर अब ये तो मुद्दा हमेशा बना ही रहेगा
आगे बढ़ते हैं की हम सब बने हैं छोटे-छोटे
कन यानी एटम यानी परमाणु से हम सब एटम से
बने हैं ये आइटम किस बना है आओ समझते हैं
एटम किस बना है तो प्रारंभिक रूप में तीन
पार्टिकल मिले थे एटम के अंदर एक तो के के
थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन को खोज था बोला था की
इलेक्ट्रॉन नेगेटिव आवेश नेगेटिव चार्ज
वाला कोई पदार्थ है जो गोल गोल गोल घूमता
राहत है परमाणु में किसके गोल-गोल घूमता
है तो बोला गया की एटम के बीच में एक बहुत
ही ठोस एक चीज है पदार्थ जिसको बोलते हैं
हम लोग न्यूक्लियस बोलते हैं है नाभिक बोल
सकते हैं अब ये न्यूक्लियस के अंदर
क्या-क्या है तो न्यूक्लियस के अंदर
पॉजिटिव आवेश वाला प्रोटॉन एक पार्टिकल है
पॉजिटिव चार्ज वाला और एक बिना किसी आवेश
वाला पार्टिकल है न्यूट्रॉन है ना ये जो
न्यूक्लियस की खोज थी ये की थी रदरफोर्ड
ने और न्यूट्रॉन की खोज सबसे डर में हुई
थी क्योंकि इसके ऊपर कोई आवेश नहीं था तो
इसकी खोज हुई थी 1932 में जेम्स चैडविक ने
की थी वापस चलते हैं जर्मनी में तो जर्मनी
में 1938 में दो वैज्ञानिक थे ऑटोहन और
लेज मित्रण इन्होंने एटम के अंदर जो
न्यूक्लियस था परमाणु के अंदर जो नाभिक के
था इसको तोड़ दिया और तोड़ के दो नाभिक के
बना दिए इसको बोलते हैं न्यूक्लियर फैशन
नाभिकीय विखंडन अब ऐसा होता है सिर्फ और
सिर्फ बहुत भारी न्यूक्लियस के लिए जैसे
आप मां लो यूरेनियम का न्यूक्लियस ये बहुत
भारी होता है इसको अगर तोड़ के हम दो
छोटे-छोटे न्यूक्लियस बनाए तो देर साड़ी
ऊर्जा निकलते है पर ये इतना आसन भी नहीं
है ऐसा करने के लिए क्या करना होता है की
एक बड़े भारी न्यूक्लियस के अंदर एक
न्यूट्रॉन मारा जाता है मारते ही ये भारी
न्यूक्लियस दो छोटे-छोटे न्यूक्लियस में
टूट जाता है और साथ में तीन न्यूट्रॉन में
निकलते हैं ये जो दो छोटे-छोटे न्यूक्लियस
होते हैं ये बराबर के करीब करीब बराबर के
बाहर के होते हैं अच्छा अब इस पुरी कहानी
में कहां से ऊर्जा आई ऊर्जा कैसे ए गई अब
जरा सोचो की अगर एक ये बहुत बड़ा
न्यूक्लियस टूट के दो छोटा छोटा गेंद बना
है इन दोनों गेंद का वजन में जोड़ूं तो इन
दोनों गेंद का वजन जोड़ने पे इसके वजन के
बराबर होना चाहिए है की नहीं इनका वजन
जोडके इसके वाज़ें के बराबर होना चाहिए पर
अल में ऐसा नहीं हुआ इनका वजन जोड़ने पे
इसके वजन से थोड़ा सा कम र गया आप बोलोगे
तीन न्यूट्रॉन भी तो निकले हैं उन तीन
न्यूट्रॉन के वजन को भी जोड़ लो इनका भी
वजन जोड़ लो तो भी इसके वजन से कम ए रहा
है कितना काम रहा है
पॉइंट एक परसेंट है ना पॉइंट एक परसेंट यहां से
यहां आने पे मास गायब हो जा रहा है अब ये
मास कहां गया कहां गायब हो गया तो अल्बर्ट
आइंस्टीन ने इसका आंसर दिया अल्बर्ट
आइंस्टीन ने बोला यह जो ऊर्जा होती है और ये जो पदार्थ जो
मटर है जो मास है यह दोनों एक ही चीज है
अगर कहानी से मास गायब हुआ है तो वहां पे
ऊर्जा बनी होगी कितनी ऊर्जा बनी होगी
इन्होंने कहा जितना मास गायब हुआ है उसको
गुना कर दो प्रकाश की जो गति होती है उसके
पावर तू करके e = mc² आप ऐसे समझो की अगर
आपके पास किलो यूरेनियम हो किलो में
एक पैकेट भर के यूरेनियम हूं तो दिल्ली
जैसी राज्य की दिल्ली जैसे जगह की दस दिन
की पूरे शहर की बिजली ए शक्ति है इतना
होता है तो ये जो ऊर्जा मिली है बहुत
ज्यादा ऊर्जा है और जो आप सोच रहे हो यही
विश्व भर के सारे देश और सारे साइंटिस्ट
ने सोचा इतनी ऊर्जा से क्या बनेगा भाई जी
समय वर्ल्ड वार चल रही है उसे समय इतनी
ऊर्जा से क्या बनेगा क्योंकि आप द्वितीय
वर्ल्ड और ए गई सेकंड वर्ल्ड वार अब बता
रहे हैं इसके बाद सेकंड वर्ल्ड वार आने
वाली है अब सब सोच रहे हैं की इतनी ऊर्जा
से कौन बिजली बनाएगी बिजली बिजली बाद में
बनाएंगे अब बम बनाते हैं इसके बाद जो
हिटलर थे उन्होंने ट्रीटी ऑफ वर्सोलि जो
समझौता हुआ था ना संधि वाला उसको तोड़
दिया अपनी सेना बनाई और जाके ऑस्ट्रिया पे
हमला किया और ऑस्ट्रिया पे कब्ज कर लिया
इसके बाद जर्मनी ने चेक को सुला किया पर
हमला किया इस पे भी कब्ज कर लिया आप
जर्मनी सही में विश्व की सबसे बड़ी शक्ति
बन्नता जा रहा था जर्मनी ने इसके बाद पोलैंड
पे हमला किया और यही से शुरुआत हुई
द्वितीय विश्व युद्ध सेकंड वर्ल्ड वार की
शुरुआत हो चुकी थी इधर से जर्मनी ने
पोलैंड पे हमला किया इस तरफ से यूएसएसआर
ने हमला कर दिया तो जर्मनी और यूएसएसआर ने
आपस में समझौता कर लिया दोस्ती की और बोला
पोलैंड को आधा आधा बात लेते हैं आधा तुम
रख लेना आधा हम इसके बाद जर्मनी ने
डेनमार्क पे हमला किया नॉर्वे पे हमला
किया फ्रांस में हमला करने ग गए अब हिटलर
पुरी दुनिया पे कब्ज करना चाहता था और
हिटलर को पता था अगर पुरी दुनिया पे कब्जा
करना है तो मुझे एक ऐसा हथियार चाहिए होगा
जिसका जवाब किसी के पास नहीं हो हिटलर को
पता था की इनकी बर्लिन की लैब में
न्यूक्लियर फैशन यानी नाभिकीय विखंडन की
खोज हो चुकी है जिसमें बहुत ऊर्जा बन
शक्ति है अब हिटलर ने क्या किया की एक
यूरेनियम क्लब बना दिया कहा की एटम बम
बनाते हैं और जिम्मेदारी सुपाती एक बहुत
बड़े साइंटिस्ट को वर्नर हिजन बर्ग ये क्वांटम
फिजिक्स के बहुत जाने-माने- साइंटिस्ट थे
बर्ग को ही क्यों चुनाव क्योंकि वर्नर हिजन बर्ग
भी यहूदियों से बहुत नफरत करते थे
जू से बहुत नफरत करते थे अब हिटलर चाह रहा
है की हम एटम बम बनाते हैं अमेरिका को
चुनौती देते हैं अब कहानी याद करो की
न्यूक्लियर फैशन नाभिकीय विखंडन की खोज की
थी और उनकी साथी लीज मिथनर ने यह जो
लिस मितनर है ना ये लीज मिथनर भी खुद
एक यहूदी थी तो खोज करने के बाद
इनको ये तो पता था की हिटलर या तो मुझे
मारवा देगा या मैं सब सही सलूक नहीं होगा
तो लीज मिथनर भी एक बड़ी साइंटिस्ट जर्मनी
से भाग गई डेनमार्क बाद में इन्होंने अपने
एक इंटरव्यू में बताया की एक पर्स में एक
छोटे से पर्स में ये सर डॉक्यूमेंट सर
दस्तावेज नाभिकीय विखंडन का लेकर जर्मनी
से डेनमार्क गई थी और डेनमार्क जाकर मेरी
उसे साड़ी के एक और बहुत बड़े साइंटिस्ट
नील पोहर से इन्होंने पूरा परमाणु का सबसे
बड़ा मॉडल बनाया है एटॉमिक मॉडल बोर
एटॉमिक मॉडल बहुत फेमस आदमी थे और नील पोहर
को इन्होंने बताया की हिटलर एटम बम बना
रहा है ये बात अमेरिका को बता दो क्योंकि
अगर हिटलर के हाथ में एटम बम ग गया तो
सोचो दुनिया का क्या होता तो नील बोलने का
अच्छा तो नील बर डेनमार्क में थे इनके कुछ
मित्र थे जैसे नीव सलर्ड हो गए जैसे
एडवर्ड टेलर हो गया एडवर्ड टेलर को आज के
समय में कहा जाता है हाइड्रोजन बम का पिता
ये सब बहुत बड़े लोग हैं पर आज उसे समय
नहीं तब ये यंग थे तब ये नौजवान थे तब चीज
बना रहे थे तो इन्होंने नील पोहर नीव
सिलार्ड और एडवर्ड टेलर को ये बात बताई
अच्छा ये दोनों भी यह भी थे और ये दोनों
भी यूरोप से भाग के ही अमेरिका में गए थे
तो नील बोलने कहा की ऐसा करो की हिटलर एटम
बम बना रहा है न्यूक्लियस विजन की खोज में
ये बात जा के अमेरिका के राष्ट्रपति को
बताओ क्योंकि अमेरिका सबसे शक्तिशाली है
और उससे बोलो की एटम बम पहले वो बना लेने
इन्होंने कहा साहब अमेरिका का राष्ट्रपति
बहुत बड़ा आदमी है हमारे जैसे छोटे
साइंटिस्ट की नहीं सुनेगा अब लो सिलत
दिमाग वाले थे इन्होंने क्या किया ये जाकर
मुलाकात किया किस अल्बर्ट आइंस्टीन से
क्या ये बड़ा आदमी है इसकी तो सुनेगा
अमेरिका की राष्ट्रपति नोबेल प्राइस विनर
है क्या आदमी है तो इन्होंने जाके अल्बर्ट
आइंस्टीन को साड़ी कहानी समझे की ऐसा ऐसा
है न्यूक्लियर फ्यूजन की खोज हो गई है और
ऐसा है की वहां पे अब जो हिटलर है वो एटम
बम बना रहा है अच्छा आइंस्टीन खुद भी एक
यहूदी थे जे थे ये खुद ही जर्मनी से भाग
के अमेरिका आए थे तो ये जानते थे हिटलर
कैसा भाई आदमी है तो इन लोगों ने एक पत्र
लिखा एक लेटर लिखा रुसवेल्ट को अमेरिका के
राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा और उनको
चेतावनी दी की भाई हिटलर एटम बम बना रहा
है
पुरी दुनिया पे कब्जा कर लगा एक आप ही
हो जो पुरी दुनिया को बच्चा सकते हो अच्छा
अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में नहीं आया
बिल्कुल भी नहीं आया क्योंकि पहले विश्व
युद्ध में इसने बहुत कुछ खोया था उसने कहा
मुझे नहीं लड़ना है यूरोप अपनी चीज अपने
खुद से संभालो मैं नहीं कूद रहा उसके अंदर
तो रोज ने कहा अच्छा एटम बम बना रहा है
अच्छा यार ऐसा है अच्छा हां सही में यार
हिटलर की तो जो सप्ताह बढ़नी जा रही है
देखो पूरे जर्मनी पूरा मतलब पूरे यूरोप पे
जर्मनी कब्जा करता जा रहा है दूसरी तरफ एक
और चिंता का विषय था रूस बेल्ट के लिए भले
ही इस युद्ध में कूद नहीं रहे थे पर यह
दूर से देखते रहे थे की जी तरह से जी तरह
से हिटलर यूरोप को कब्ज करता जा रहा था
तानाशाह की तरफ इस तरह से एशिया में हीरो
हीतो ये जापान के राजा थे हीरो हीरोइन को
भगवान बोलते थे जापानी ये भगवान जैसे थे
इनकी बात को भी कैट नहीं सकता ये सब ऐसे
ही तानाशाह लोग थे हीरो हीतो ये पूरे
एशिया पे कब्ज करना छह रहे थे दक्षिणी
एशिया पे कब्जा कर भी लिया था तो एक तरफ
से जापान पूरे एशिया पे कब्जा कर रहा है
एक तरफ से हिटलर पूरे यूरोप पे कब्ज कर
रहा है और अमेरिका सब बैठ के देख रहे हैं
की करें क्या एटम बम बनाना शुरू करते हैं
तो अमेरिका ने अपनी यूरेनियम कमेटी बनाई
और एटम बम की खोज करना शुरू कर दिया इस
समय विश्व के सभी देश एटम बम की खोज करना
चाहते थे क्योंकि न्यूक्लियर फैशन नाभिकीय
विखंडन की खोज हो चुकी थी जैसे की ब्रिटेन
और कनाडा ने एक टीम बनाई ट्यूब एलॉय
प्रोजेक्ट और इनके सारे वैज्ञानिक ग गए
एटम बम की खोज करने हिटलर यानी जर्मनी ने
यूरेनियम क्लब बनाया था एटम बम की खोज कर
रहे थे अमेरिका ने यूरेनियम कमेटी बनाई थी
एटम की खोज कर रहे थे जापान ने अपना नियो
प्रोजेक्ट नियो प्रोजेक्ट बनाया था एटम बम
की खोज हो रही थी यूएसएसआर अपना एटम बम
खोज रहा था सभी देश चाहते थे की सबसे पहले
एटम बम मैं बनाऊं और पूरे विश्व पे कब्ज
कर लूं खैर इसके बाद कुछ अजीब हुआ जापान
जो की दक्षिणी एशिया पे कब्जा करता जा रहा
था इस पे अमेरिका की नजर पड़ी और अमेरिका
ने कहा यार मुझे इससे युद्ध तो करना नहीं
है पर इसे रोकना पड़ेगा इतनी शक्ति ए
जाएगी तो यह मेरे खिलाफ खड़ा हो सकता है
तो अमेरिका ने जापान को बोला की हम
तुम्हें अब कोई भी टेक्नोलॉजी नहीं देंगे
जब फैन का टेक्नोलॉजी तो मैं खुद बना
लूंगा क्या दिक्कत है अमेरिका ने कहा
अच्छा अमेरिका ने कहा जापान हम तुमको तेल
नहीं देंगे तेल नहीं देंगे तेल अमेरिका के
पास था अब जापान को दिक्कत हुई तेल नहीं
मिलेगा तो युद्ध कैसे लड़ेंगे जीवन कैसे
चलेगा तो जापान का कोई बात नहीं हमारे
आसपास ऐसे कुछ राज्य हैं जहां पे तेल होता
है वहां पे तेल ले लेंगे पर इन राज्यों के
ऊपर भी अमेरिका का ही कब्जा था तो अब
जापान ने कुछ पागल बने वाला कम किया एक
ऐसा कम किया जो इसके औकात के बाहर था
इसमें सोचा मैं का को दारा देता हूं धमक
देता हूं पर का को अपनी ताकत दिखता हूं
अमेरिका के सैया अड्डे पर हार्बर के ऊपर
जपान ने जा के हमला कर दिया अमेरिका का
सामने अड्डा था पर हर बार इस पे जाकर
जापान ने अचानक से हमला किया और सोचा की
अमेरिका को झटका देते हैं पूरा इनका सेन
याद उदा देते हैं ये हमसे डर जाएंगे इसके
बाद हम अपने आसपास वाले राज्यों पे कब्ज
करेंगे और यहां से तेल निकलेंगे ऐसा थोड़ी
होना था जैसे ही पाल हर बार पे अटैक हुआ
पाल हर बार अमेरिका के लिए गर्भ की जगह थी
प्राइड था उनका अमेरिका ने कहा मैं भी
विश्व युद्ध के अंदर हूं वर्ल्ड वार के
अंदर हूं और मैं हमला करता हूं जापान के
ऊपर इसके बाद अमेरिका बहुत सीरियस हो गया
एटम बम बनाने के लिए इन्होंने एक मैन हटन
प्रोजेक्ट बनाया ए बम ए बम मतलब एटम बम h
बम होता तो हाइड्रोजन बम है और
प्रोजेक्ट मैन हटन एक शहर है अमेरिका के
अंदर इन्होंने क्या किया विश्व भर के सबसे
बेहतरीन साइंटिस्ट जो अमेरिका में
मौजूद थे कुछ इनके खुद के थे कुछ यूरोप से
भाग भाग के जो यहूदी वैज्ञानिक ए गए थे उन
सब की एक हम बनाई और उसे टीम का नेता
बनाया रॉबर्ट जे ओपन हयमार अभी इन पे
मूवी भी ए राखी है ओपन हाइबर को ही क्यों
नेता बनाया सबसे पहले बात यह अमेरिकी थे
ऐसे हालातो में इस टीम का नेता एक अमेरिकी
को होना चाहिए क्योंकि यह जो यहूदी
साइंटिस्ट थे ये सब यूरोप से आए थे इसमें
से कोई भी गद्दार भी हो सकता था इसमें से
कोई जासूस भी हो सकता था हिटलर का इसमें
से कोई बाद में जाके उस भी मिल सकता था तो
इन लोग में इतना भरोसा नहीं कर सकते इसलिए
इसका लीडर बनाया ओपन हैमर को पहले बात यह
अमेरिकी थे दूसरी बात ये न्यूक्लियर
साइंटिस्ट भी थे नाभिक के शास्त्र के एक
बहुत बेहतरीन वैज्ञानिक भी थे इन सब को
इन्होंने डॉ ऑफ ऑलमोस्ट के जंगल में एक
शहर बस के दे दिया जहां पे बहुत सारे
वैज्ञानिक बहुत सारे टेक्नोलॉजी बहुत
साड़ी सी के लोग थे और यहां पे कहा की अब
बना तुम एटम बम यहां बैठ के सारे सबसे
बेस्ट वैज्ञानिकों को एक साथ एक जगह पे रख
दिया इन्हीं में से एक वैज्ञानिक थे
अर्निंग को परमी जिन्होंने इस बीच
न्यूक्लियर चैन रिएक्शन नाभिकीय रिएक्शन
की खोज की जो की बहुत जरूरी था एटम बम
बनाने के लिए जरा सोचो एक यूरेनियम का
न्यूक्लियस है उसको तोड़ के अगर आप दो
न्यूक्लियस बनाते हो तो उससे कितना ऊर्जा
निकलता है मेगा इलेक्ट्रॉन वॉल्ट
स्थित थोड़ी बम बनेगा बम बनाने के लिए
बहुत सारे यूरेनियम के न्यूक्लियस को
तोड़ना होगा अच्छा याद करो कैसे यूरिन का
न्यूक्लियस टूटा था एक न्यूट्रॉन जाता था
और यूरेनियम के न्यूक्लियस को जाके धड़
मारता था और यह न्यूक्लियस के दो टुकड़े
होते थे पर साथ में कुछ और भी निकलता था
क्या दो से तीन न्यूट्रॉन और निकलते थे तो
तीन न्यूट्रॉन और निकले अब ये तीन
न्यूट्रॉन चले गए एक-एक और यूरेनियम के
न्यूक्लियस को तोड़ दें इसने एक यूनियन से
टोडा इसने दूसरे को टोडा इसने तीसरी को
टोडा ये दो भाग में टूटे और क्या निकाला
तीन नए न्यूट्रॉन निकाल आए अब आप सोच रहे
हो की इतना सर यूरेनियम न्यूक्लियस कहां
से आया अरे भाई अगर मेरे पास चुटकी भर
यूरेनियम भी है तो चुटकी भर यूरेनियम में
करोड़ यूरेनियम के न्यूक्लियस होंगे करोड़
परमैन होंगे चुटकी भर पाउडर
एक चुटकी यूरेनियम भी है उसमें करोड़
न्यूक्लियस है इस चुटकी भरनियम में मैंने
एक न्यूट्रॉन मारा था ये दो भाग में टूटा
तीन ऑन न्यूट्रॉन बने अब यहां बहुत सर
यूरेनियम का न्यूक्लियस है तो एक-एक
न्यूट्रॉन दूसरे में चलेगा फिर वहां से
क्या हुआ तीन निकाला यहां से क्या हुआ
इसमें से तीन न्यूट्रॉन इसमें से तीन
न्यूट्रॉन इसमें से तीन न्यूट्रॉन अब
कितना न्यूट्रॉन बन गया नो नो न्यूट्रॉन
जाएंगे नॉन न्यूक्लियस के पास फिर उसमें
से न्यूट्रॉन निकलेंगे फिर
न्यूक्लियस के बाद फिर न्यूट्रॉन और
इसको बोलते हैं चैन रिएक्शन और इससे
उत्पन्न होगी बहुत साड़ी ऊर्जा
डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर जल देंगे सब
कुछ देखो कुछ ऐसा दिखेगा ये ध्यान से देखो
ये ऐसा देखो एक न्यूट्रॉन आया इसको मारा तीन
न्यूट्रॉन निकले फिर तीन न्यूट्रॉन गए तीन
न्यूक्लियस को मारे एटम बम बन गया पहले
एटम बम का नाम दिया गया गैजेट ये कोड नाम
दिया गया था एटम बम बैंक तैयार हो गया अब
सोचा है इसको कहा घेरा है जर्मनी के ऊपर
पर जर्मनी सुरेंद्र कर चुका है विश्व से
निकाल चुका है इस समय तक अब इस समय
अमेरिका का झगड़ा चल रहा है जापान के साथ
पेसिफिक के ऊपर और जापान रुकने को तैयार
नहीं तो यह फैसला लिया गया की हम पहले एटम
बम को जापान के ऊपर गिराएंगे तो ये जो
वैज्ञानिकों के दाल के नेता थे मैनहैटन
प्रोजेक्ट के जो नेता थे रॉबर्ट ओपन इसे
कहा गया की जापान पे एटम बम गिरना है ओपन
है मैंने कहा की इसके पहले एक बार इसका
परीक्षण कर लेते हैं परीक्षण करना मुश्किल
इसलिए था अमेरिका के लिए क्योंकि बहुत
पैसा खर्च होता है तो इतना महंगा उड़ानी
खराब हो जाएगा खैर एवं सब लोग तैयार हो गए
एक बार परीक्षण करेंगे अपरिक्षण यानी
टेस्ट का नाम दिया गया त्रिनिटी टेस्ट
त्रिनिटी नाम क्यों दिया त्रिनिटी जैसे
हमारे यहां त्रिदेव होते हैं ना जैसे
ब्रह्मा विष्णु महेश वैसी ही इनके
त्रिनिटी इनके धर्म में होते हैं त्रिनिटी
मतलब आप बेटा और पवित्र आत्मा ये तीनों ही
सब कुछ मैन जाते हैं तो जुलाई की
सुबह 5 बजे ये टेस्ट होना था इस टेस्ट
के पहले रॉबर्ट जो ओपन हैमर जो साइंटिस्ट
दाल के नेता थे यह गए आइंस्टीन से मिलने
और उनसे उन्होंने अपना एक थोड़ा सा दर्द
सजा किया की मुझे ये डर है की कहानी यह
एटम बम फटे और इसका जो चेन रिएक्शन है वो
पर्यावरण में फेल जाए और पूरा विश्व ना
खत्म हो जाए तो जो इसकी गणित है एक बार आप
चेक कर लीजिए आप सबसे बड़े साइंटिस्ट हैं
तो उसे समय आइंस्टीन थोड़े बुद्ध हो चले
थे उन्होंने कहा की यार देखो मेरा समय चला
गया ये सब गणित वगैरा तुम चेक कर लेना और
तुम कर लोग मुझे भरोसा है तुम्हारी टीम पर
भरोसा है पर अगर गणित यह कहती है की इससे
पूरा विश्व खत्म हो सकता है तो तुम तो मत
ही करना साथ जर्मन नाज़ी साइंटिस्ट को भी बोल देना
की वह भी ऐसा ना करें इस तरह की सोच रखते
थे खैर गणित का रही थी दुनिया नहीं खत्म
होगी और इन्होंने सुबह बजे ये टेस्ट
किया और टेस्ट की फाइट से किलोमीटर दूर
सर ये मैनहैटन प्रोजेक्ट के साइंटिस्ट और
कुछ आर्मी वाले बैठ गए आंखों पे कल चश्मा
लगा लिया की आंखें खराब ना हो चमक ना जाए
और उसके बाद 45 फिट तक इसका धुआं गया देखने वालों कुछ सेकंड के लिए
अंधे भी हो गए रॉबर्ट ओपन हाइमर ने देखते
ही जो सबसे पहले लाइन बोली वो श्रीमद्
भागवत गीता थी ये गीता के बहुत बड़े
दीवाने थे सिर्फ गीता पढ़ने के लिए
उन्होंने पुरी संस्कृत भाषा सिख डाली थी
और गीता के वें अध्याय का वां श्लोक
इन्होंने इस वक्त बोला नो आई एम विकम डेथ
डिस्ट्रॉय ऑफ डी वर्ल्ड यहां पे क्या हो
रहा है भगवान श्री कृष्णा अर्जुन से बोल
रहे हैं अर्जुन मैं बड़ा हुआ कल हूं अब
सर्व लोकन को खाने के लिए प्रकट हुआ हूं
अर्जुन थोड़े डर गए थे की कैसे मैं इतनी
बड़ी लड़ाई लडूंगा तो श्री कृष्णा ने बोला
की मैं सबसे बड़ा कल हूं और मैं सारे
लोगों को खत्म कर सकता हूं मेरे अंदर वह
शक्ति है आप यह सोच सकते हो की ओपन हैइमर
को एक तरह का जिला एक तरह का उनको यह
पछतावा होने ग गया था की उन्होंने क्या
बना दिया जिससे पुरी दुनिया खत्म होगी तो
इन्होंने उसे एटम बम को त्रिनिटी बोला था
यानी उसको वो भगवान की तरह देख रहे हैं तो
उन्होंने कहा की वो एटम बम खुद का रहा है
की आई एम डी डेथ डिस्ट्रॉय ऑफ डी वर्ल्ड
इस तरह से आप इसका और भी कुछ इंटरप्रिटेशन
हो सकता है मुझे ऐसा लगा की ये एटम बम को
सोच रहे हैं की अगर मैं नहीं बनाता तो कोई
ना कोई तो बना देता तो आ जैसे अर्जुन नहीं
लड़ाई लड़ते तो श्री कृष्णा का रहे हैं की
पूरा युद्ध में ही लाड जाता मैं ही कल हूं
मैं ही सबको खत्म कर दूंगा तो शायद ओपन
हमें यही सोच रहे हैं की अगर मैं नहीं
बनाता तो कोई ना कोई बना देता और ये जो
एटम बम बना है आईटी इसे डी डिस्ट्रॉय ऑफ
जो शब्द इसी तरह से इन्होंने गीता के एन
अध्याय का एक बार-बार श्लोक भी उसे समय
पढ़ा था जिसमें उन्होंने बोला था यदि आकाश
में हजारों सूर्य एक साथ उदय होते हैं तो
भी उनका प्रकाश भगवान के दिव्या तेजस्वी
रूप की सामान्य नहीं कर सकता यहां ये
कहानी ना कहानी एटम बम को ही भगवान बोल
करते हैं की अगर आकाश में हजार सूरज भी एक
साथ ए जाए तो इस एटम बम की रोशनी के बराबर
की रोशनी नहीं ला सकते तो थोड़े इस तरह की
अवस्था हो जाति है जब ऐसा कोई मोमेंट लाइफ
के अंदर आता है खैर आगे चलते हैं इसके बाद
ये हुआ की अब इसको जापान के ऊपर गिरना है
तो ओपन हाइमन ने ये कहा की जापान के गिरने
से पहले उनको एक चेतावनी दे दो क्योंकि ये
बहुत बड़ा बम है बहुत सारे लोग मारेंगे तो
अमेरिका ने कहा हम सीधी चेतावनी नहीं दे
सकते एक पोस्ट दम डिक्लेरेशन हुआ जिसके
अंदर अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी की
हम बहुत बड़ा हमला तुम्हारे पर कर सकते
हैं सुधार जो वरना बचोगे नहीं तो जापान से
कहा गया था या तो सुरेंडर करो या पुरी
तरह से खत्म हो जाएगा जापान ने नहीं सुना
और इसके बाद अगस्त सुबह सुबह जापान
की हीरो सीमा शहर के ऊपर पहले एटम बम
गिराए गया उसका नाम था लिटिल बाय और लिटिल
बाय यूरेनियम का एटम बम था एक प्लेन से
इसको जापान के ऊपर गिराए गया क्यों
हिरोशिमा पे गिराए गया इसका कोई बहुत सही
रीजन नहीं था शेरों की एक लिस्ट थी उसमें
से कोई दो शहर चुन्नी थे तो एक हिरोशिमा
चुनाव गया वहां कहा जाता है आर्मी की
थोड़ी सी आबादी ज्यादा थी और आम इंसान कम
थे पर ऐसा कुछ सच्चाई नहीं है
इसके बाद जापान नहीं सुधार जापान ने तब भी
विश्व युद्ध के अंदर सुरेंद्र नहीं किया
तो तीन दिन बाद अगस्त को नागासाकी के
ऊपर दूसरा एटम बम गिराए गया इसका नाम था
फैट मां और ये प्लूटो से बना इस तरह से
यूरेनियम एक बहुत भारी धातु है सिर्फ
प्लूटोनियम में एक बहुत भारी धातु होता है
और इसका भी न्यूक्लियर फैशन होता है और
प्लूटोनियम से ज्यादा ऊर्जा निकलते है तो
ये दो एटम बम गिरी गए अगस्त छह और अगस्त
नो में और आज तक यही दो एटम बम है जो किसी
भी लड़ाई में इस्तेमाल हुए हैं इसके बाद
कभी लड़ाइयां में एटम बम का इस्तेमाल नहीं
हुआ लगभग देखा जाए तो सव लाख लोग सीधे लोग
पे मा गए थे इन धमाकों के बाद और रेडिएशन
से ना जान कितनी आने आने वाली इनकी जो
जेनरेशन थी नस्ले थी वो भी बर्बाद होने ग
गई
इसके बाद जापान ने सुरेंडर कर दिया और
वर्ल्ड वार तू खत्म हो गई इसी बीच
हाइड्रोजन बम की डिस्कवरी हुई कैसे हुई
देखो जैसे न्यूक्लियर फैशन के अंदर नाही
के का विखंडन होता है वैसे ही एक और
फिनोफेना है न्यूक्लियर फ्यूजन नाभिकीय
सालियन यानी दो छोटे-छोटे न्यूक्लियस
नाभिकीय का मिलकर एक बड़ा न्यूक्लियस
बनाना ये कैसे डिस्कवर हुआ जो सूरज है ना
तो हम लोगों ने सोचा की सूरज के ऊपर उठ जा
कैसे ए रही है सूरज को जाहिर सी बात है
यहां से तार लगा के आप ऊर्जा नहीं दे रहे
हो जलन के लिए आप वहां जाकर कोई गैस नहीं
दाल रहे हो खुद से जलता जा रहा है इतनी
साड़ी ऊर्जा कैसे ए रही है तो कुछ लोग ने
कहा की सूरज के ऊपर भी न्यूक्लियर फैशन हो
रहा होगा नाभिकीय विखंडन हो रहा होगा पर
सूरज के ऊपर कोई भी
यूरेनियम नहीं मिला सूरज के ऊपर कोई भी
यूरेनियम नहीं है सूरज पर क्या है सूरज पे
हल्के एलिमेंट है हल्के धातु है जैसे
हाइड्रोजन है ड्यूटीरियम है इस तरह के
धातु वहां पे पे गए तो ये जो हल्के हल्के
धातु है ये टूटे नहीं ये जोड़ के क्या
बनाते हैं एक बड़ा धातु बना देते हैं इसको
बोलते हैं न्यूक्लियर फ्यूजन बेटा फ्यूजन
का जो मतलब होता है वो होता है पिघलना अब
कोई चीज कब पिघलेगी न्यूक्लियस कब निकलेगा
जब उसको आप बहुत हिट करोगे बहुत ही ज्यादा
तापमान में रखोगे ऐसा तापमान कहां है सूरज
के ऊपर सूरज के ऊपर इतनी गर्मी होती है
जहां पे ये छोटे-छोटे जो हल्के हल्के
हाइड्रोजन बटेरियन छोटे-छोटे जो
न्यूक्लियस होते हैं ये गाल के आपस में
मिल के एक बड़ा न्यूक्लियस बनाते हैं
अच्छा इसके अंदर भी फ्यूजन के अंदर भी
बहुत साड़ी ऊर्जा निकलते है बल्कि सही मैन
मैं बताएं तो फ्यूजन से जो ऊर्जा निकलते
है वो फैशन से ज्यादा होती है हां
न्यूक्लियर फ्यूजन में जो ऊर्जा निकलते है
वो पिजन से तीन से कर गुना ज्यादा ऊर्जा
निकलते है एक छोटा न्यूक्लियस दूसरा छोटा
न्यूक्लियस गम हुए आपस में मिले फ्यूजन
हुआ एक बड़ा न्यूक्लियस और खूब साड़ी
ऊर्जा निकली पर ऐसा होने के लिए बहुत
ज्यादा तापमान चाहिए जैसा सूरज पे होता है
तारों पे जो तापमान होता है तारों की जो
ऊर्जा होती है वह न्यूक्लियर फ्यूजन यानी
नाभिकीय संलयन से ही निकलते है अब यह
तापमान हम पृथ्वी पे कैसे लाइन क्योंकि
हमें हाइड्रोजन बम बनाना है है ना ये छोटे
हाइड्रोजन जैसे हल्के एलिमेंट होते हैं
वही फ्यूजन करते हैं हल्के हल्के एलिमेंट
अब ये तापमान पृथ्वी पे कैसे आएगा एक ही
तरीका है अभी देखो ओपन हाइमन ने क्या बोला
था की जी तरह से हजार सूरज भी अगर आसमान
ने चापक जाए तो एटम बम की तुलना नहीं कर
सकते यानी एटम बम ही एक तरीका है जिससे हम
इतना तापमान ला सके हाइड्रोजन बम को चलने
के लिए एटम बम को चलाना पड़ेगा जैसे की एक
बड़े गद्दे को छुड़ाने के लिए उसके उसमें
तार में ऐसे आज लगाते हो ना वैसे ही
हाइड्रोजन बम को उड़ने के लिए पहले एटम बम
उड़ना होगा तो देखो हाइड्रोजन बम कैसे
बंता है ऊपर आप क्या लगा देते हो यूरेनियम
लगा देते हो पहले आप यूरेनियम में क्या
करते हो पिजन करते हो यानी एटम बम फोर्ट
हो इससे क्या होता है बहुत ऊर्जा निकलते
है तापमान बहुत बाढ़ जाता है जब यह तापमान
बढ़ता है तो क्या होता है छोटे-छोटे हल्के
हल्के जो न्यूक्लियस होते हैं यह पिघलते
हैं और न्यूक्लियर फ्यूजन होता है और बहुत
साड़ी ऊर्जा निकलते है इसको हम लोग
हाइड्रोजन बम भी बोलते हैं और इसको थर्मो
न्यूक्लियर बम भी बोला जाता है सबसे पहले
हाइड्रोजन बम जो बना था अब माइक नाम का था
अमेरिका ने ही बनाया था सन में और
इसके बाद सभी देश हाइड्रोजन बम भी बनाना
शुरू कर दिए ये इस समय विश्व के वो देश
हैं जिनके पास परमाणु शक्ति है वही रसिया
अमेरिका चीन फ्रांस ब्रिटेन पाकिस्तान
इंडिया इजरायल और नॉर्थ कोरिया इन्हीं के
पास परमाणु शक्ति है और आज हमें एहसानमंद
होना चाहिए अपने देश के नेताओं का और उनसे
ज्यादा उन वैज्ञानिकों का उन आर्मी वालों
का जिनकी वजह से हम ये परीक्षण कर पे आज
हम इतने मजबूत हैं की चीन जैसे देश
अमेरिका जैसे देश रसिया जैसे देश हमारी
दोस्ती है
आज हमें ढाबा नहीं सकते क्योंकि
हमारे पास भी बहुत सर न्यूक्लियर वेपन है
क्या इंसान अच्छा था पता नहीं पर जब से ये
न्यूक्लियर वेपन बने हैं जब से परमाणु बम
बना है देखा जाए तो लड़ाइयां कम हो गई
युद्ध कम हो गए सब को एक दूसरे से डर लगे
लगा है की क्या यह सही हुआ या यह गलत हुआ यह
फैसला करना मेरे हाथ में नहीं है मिलेंगे
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