कहां गायब हो गए फिरौती के ३० लाख ? कानपूर किडन्यापिंग , और फिरौती की अजीब कहानी। ..........
किडन्यापिंग एक कहानी एक नौजवान किडन्याप होता है। परिवार वाले उम्मीद में पुलिस के पास जाते है। पुलिस वाले और तो कुछ कर नहीं पाते है , जब किडन्यापर का फोन आता है , फिरौती के लिए तो कहते है ठीक है पैसे दे दो और जब पैसे देने जाते हो तो बता देना हम भी साथ चलेंगे। तो पैसे देते हुवे रंगे हाथ पकड़ लेंगे।घर वालो के पास कोई रास्ता नहीं पोलिस के बातो में आ के पोलिस के साथ जाते है। ऊस जगह पे जहा किडनेपर ने कहा है जो पैसे से भरा हुआ बैग लेके जाते है। जो पैसे से भरा हुआ बैग फेकते है लेकिन न किडनैपर हाथ आता है न जो किडनेप हुआ उसको बचाया जाता है , और न वो पैसे जो फिरौती के तीस लाख रुपये थे वो वापस मिलते है तीनो गायब। अब पुलिस के लिए अजीब हालत क्योकि पुलिस के कहने पे सुब कुछ हो रहा था किडनैपर को भी नहीं पकड़ा परिवार वालो ने जो पैसे का इंतजाम किया वो पैसे भी गए। और वो शख्स भी नहीं मिला। कानपूर पोलिस को लगा के ये मामला ऐसा है नहीं और शुरवात में जिस तरह से उन्होंने जाँच शुरू की लेकिन बाद में जब ये खबर मिडिया में आ गयी तब उनके पैरो तले जमीन खिसक गयी। और अब बड़े से बड़े अफसर थे उनको सस्पेंड किया जा रहा है। लेकिन ये जो पूरी कहानी है ,
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उसको जब पढ़ेंगे तो आप को लगेंगे की हमारे यहाँ पोलिस कैसे काम कराती है। कहानी इंटरेस्टिंग है , कहानी कानपूर पोलिस की पोल खोलती है। और इस कहानी में कई ऐसी चीजे है अफ़सोस करने पे मजबूर कराती है। २२ जून २०२० को कानपूर में एक बर्रा गांव है व बर्रा गांव में नौजवान रहता जिसका नाम संदीप यादव है वहा कि एक पैथालॉजी लैब में लैब टेक्निशन का काम करता है। और उसकी जिंदगी सब कुछ ठीक चल रही है माँ बाप है बहन है। २२ जून की रात करीब ८ बजे लैब में काम करने के बाद छुट्टी होती है। संदीप यादव अपनी मोटर सायकल पर लैब से निकल जाता है। जाना था उसे सीधा घर और घर तक पहुँच ने में उसे लगाने थे ४० या ४५ मिनिट लेकिन ९ बज जाते है। सदीप घर नहीं पहुंचता १२ बज जाते है। संदीप घर नहीं पहुंचता घर वालो को फ़िक्र होती है संदीप के मोबाइल पे कॉल करते है ऑफिस पे कॉल करते है। मोबाइल स्विच ऑफ है। इधर उधर ढूंढते है संदीप का कही पता नहीं चलता। तो अगले दिन सुबह घर वाले पुलिस स्टेशन चले जाते है। २३ जुन २०२० और ये उसी कानपूर शहर की बात है। २२ और २३ जून कानपूर अभी शांत था। क्योकि अभी विकास दुबे की कहानी शुरू नहीं हुवी है। अब घर वाले लगातार पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते है। जो बहन है उसकी रूचि जो लगातार हर पुलिस वालों के आगे गिड़गिड़ाती है. के उसके भाई को ढूंढे। एस पी के पास भी जाती है। पुलिस वाले दिलासा देते रहते है। कुछ होता नहीं। कई दिन गुजर जाते है।
इस दौरान २७ जून पांच दिन हो चुके थे , किडन्यापिंग को। २७ जून को एक घटना घटती है। जिसके बारे मे किसी को पता नहीं चलता , होता ये है की जिस संदीप यादव को किडनैप किया गया था। २७ जून को जिसका गला घोंट के हत्या कर के नहर में फेक दिया जाता है। और ऐसा इसलिए होता है कहानी ये है की ,२२जुन को किडनैप करने के बाद ,पांच लोग इसमें शामिल थे। और इत्तेफाक से दो लोग ऐसे थे जो संदीप के लैब में ही काम करते थे। जिनका नाम था कुलदीप और रंजीत। मास्टर माइण्ड था जोगेश्वर यादव। कुलदीप और रंजीत लैब में एक साथ काम करते थे। उनको पता था संदीप का आने जाने का टाइम। इन लोगोने पहले से ही पता था संदीप के घर की कहानी इसके पास पैसे है प्रॉपर्टी है जेवर है। तो प्लान किया की संदीप यादव को किडनैप करेंगे। और इस प्लानिंग के तहत कानपूर में ही किराये पर घर ले लिया। ताकि उसमे संदीप को रखा जाये। २२ को उठाने के बाद उसी घर में जाके रकते है। २३ , २४, २५ , २६ , चार दिन गुजर जाते है। अब तक कोई कॉल भी नहीं करते।
रात को थोडासा मौका मिलता है संदीप को उस घर से निकल के भागने का। भागने की कोशिस करता है। पकड़ा जाता है। इस के बाद वो लोग घबरा जाते है। उन्हें लगता है की अगर ये भाग गया मुँह खोल दिया ,क्यों की दो लोग तो उसके दोस्त ही थे। तो जेल जाना पड़ेगा। तो उन्हें लगा अब इसको छोड़ना खतरे से खली नहीं। तो २७ जून को सुबह सुबह संदीप यादव का गला घोटते है उसे मार देते है। और वही पास एक नहर है वहा जाके फेंक देते है। इधर घर वाले परेशांन है, की संदीप का कोई सुराख़ नहीं मिल रहा है। पुलिस के पास जा रहे है पुलिस कुछ कर नहीं रही है।
२७ जून को जिस दीन क़त्ल होता है उस दींन पहली बार संदीप के घर पर कॉल या जाता है। कहा जाता है की संदीप को हमने किडनैप किया है ,फिरौती की रक्कम ३० लाख मांगी जाती है। पैसे कब और कहा , किस तारीख को पहुँचाने है वो हम बता देंगे। ये कह के फोन काट दिया जाता है। घर वाले पुलिस के पास जाते है। पुलिस कहती है की हम कोशिस कर रहे है। धीरे धीरे वक्त बीत जाता है। इसी दौरान ३ जुलाई की तारीख आती है। बिकरू गांव विकास दुबे , पूरी पोलिस फोर्स बिकरू गांव ८ पुलिस वालोंकी मौत उसमे लग गई। संदीप यादव की किडनेपिंग को पुलिस धीरे धीरे भुल गई। घर वाले रो रहे है गिड़गिड़ा रहे है कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जब इसके दौरान टॉप ऑफिसर है पुलिस के सब कानपूर में डेरा डाले हुवे है I.G , D I G सब थे। फॅमिली कोशिस करती है की इन बड़े अफ़सरोंसे मिलने की मिलने नहीं दिया जाता। धीरे धीरे वक्त बीतता है। संदीप का कोई सुराख नहीं मिलता। इसी दौरान फिर एक बार कॉल याता है। और फोन पे इस बार कहा जाता है की १३ जुलाई को रात ८ बजे इसी बर्रा गांव के पास एक पुल है। उस पुल पे आप ३० लाख रुपये एक बैग में लेकर पहुंचो और वह पहुंच ने के बाद उस पुल के निचे आप बैग फेक देना। जैसे ही आप बैग फेकेंगे हमें पैसा मिलेगा हम संदीप को छोड़ देंगे। इस फोन के आने के बाद भी परिवार वालोंका पुलिस पर भरोसा था वो पुलिस के पास चले जाते हैं। और कहते की इस इस तरह उनका फोन आया था। पूल के निचे पैसोंकी बैग फेकने को कहाँ है। जैसे ही आप बैग फेकेंगे हमें पैसा मिलेगा हम संदीप को छोड़ देंगे। इनको वक्त दिया गया। घर वालोने घर में जितने भी पैसे थे सब जमा कर लिए बैग भर ली। उसके बाद घर वालोने पुलिस को बताया पैसो का इंतजाम कर लिया है कुछ कर लो हमें सिर्फ हमारा बच्चा लोटा दो। क्यों की उनोने कहा पैसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है जान ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है। फिर भी पुलिस पे उनको भरोसा था पुलिस ने कहा ठीक है जैसा जैसा किड्नेपर ने कहा है वैसा करते जाओ। हम साथ चलेंगे। वो पैसे लेने आएंगे हम उन्हे पकड़ लेगे। संदीप को बचा लेंगे इस दौरान फिर भी परिवार वाले पूरी तरह से नहीं मानते। S P अपर्णा गुप्ता के पास जाते है कहते है इस बैग में हम पैसे डाल रहे है। इसमें कोई मोबाइल या कोई ट्रैक करने वाली चिप लगा लो। कोई अगर बैग ले भी गया तो उसका लोकेशन ट्रैक होगा। परिवार वाले बताते है की ऐसा कह ने पे जो S P ऑफिस है वहा से उन्हें भगा दिया। डांट दिया की अब तुम हमें बतावो गे क्या करना है क्या नहीं। उनकी बात नहीं मानी गई बैग में पैसा रख दिया गया।
पैसो के साथ पुलिस की टीम भेजी गयी। रात का अँधेरा था। तै बताई गई जगह पे पैसा लेके गए और उसी जगह पे जहा उन्हें बताया गया था पैसा फेक दिया। पुलिस की आप काबिलियत देखे पता है की बैग ऊपर से फेक दिया जाने वाला है और निचे जाने के लिए घूम के जाना पड़ता है देर लग जाएगी निचे जाने में ,तो ऐसे में पुलिस की एक टीम निचे मौजूद होनी चाहिये ऊपर से निचे आने में समय लग सकता है।लेकिन कानपूर पुलिस ने इसका दिमाग ही नहीं लगाया। बैग फेक दिया गया। निचे जो लोग थे किडनेपर उनकी नजर पुलिस पे पड गयी। और वो भाग गए बैग छोड़ कर। पैसे नहीं ले गए। पुलिस की टीम निचे जा कर पहुँच ती है छान बिन करती है। कुछ भी नहीं मिला। कमाल की बात है की बैग भी नहीं मिला। वो तीस लाख रुपये से भर हुआ बैग गायब। और किडनेपर भी गायब।
यहाँ पे पहली बार पुलिस वालों के हाथ पैर फूलने लगे क्यों की घर वालो ने हंगामा करना शुरू कर दिया था। आपके कहने पे हमने पैसे भी दिए। पर हमारा भाई भी नहीं मिला पैसे भी गए। तो पहली बार पुलिस वालोंको लगा की वो फस रहे है।फिर भी वो कहते रहे की हम तुम्हारे भाई को बचा लेंगे तू घबरा वो नहीं। दूसरे दींन १४ जुलाई को संदीप यादव की फॅमिली उसकी बहन S S P ऑफिस के बहार सड़क पे जा के धरने पे बैठते है। और रोना पीटना शुरू हो जाता है।
टाइम तो बहोत हो गया २२ जून को गायब हुवा था अब १४ जुलाई आ गया फिर भी संदीप का कोई पता नहीं। पुलिस के कहने पे हमने हमारी पूरी हमारी जमा पूंजी ३० लाख दे दिए. . कुछ नहीं कर रही है। ये बात कानपूर पुलिस के पास गई की अब ये केस मिडिया को भी पता चल गया है। तो S S P ने इस पे जाँच टीम बिठा दी। और फॅमिली वालोंसे S S P ने ये वादा किया के चार दीन में वे संदीप को ढूंड लेंगे। फॅमिली वाले संतुष्ट हो गए घर चले जाते है। चार दींन बीत गए भाई का कोई पता नहीं चलता। १४ जुलाई से १८ जुलाई आ गई।
अब इस दौरान में पैसे भी गए किडनेपर का भी पता नहीं। धीरे धीरे ये बात मिडिया में भी आ गयी। पुलिस पे दबाव बढ़ने लगा। वक्त बीतता गया। अचानक कानपूर पुलिस प्रेस कॉन्फरन्स कराती है। और कहती है की संदीप की मौत हुवी है। संदीप इस दुनिया में नहीं है। उसको मर डाला गया है।
बाकायदा वहा के जो यादा अफसर है वो प्रेस कॉन्फरन्स में जो कहानी सुनते है , वो कुछ इस तरहसे है। २२ जून को किडनेपिंग हुवा २६ जून को भागने की कोशिश की २७ जून की सुबह गाला घोट के मर दिया गया। लाश नहर में फेंक दी। और उअसके बाद उसका कुछ पता नहीं। पुलिस ने साथ में ये भी कहा की , इस सिलसिले में पांच लोगोंको गिरफ्तार किया गया है। जिसमे दो लेडी है। उन पांचोने किडनेपिंग और क़त्ल का गुन्हा मान लिया है। पर ये नहीं माना की ३० लाख रुपये का कोई बैग उनको नहीं मिला उस रात। उन में से एक अक्यूज्ड ने कहा की उस रात हमारा एक साथी जिसका नाम रामजी था वो गया तो था लेकिन उस ने पुलिस को देख लिया था। पुलिस की दर से वो बिना बैग लिए भाग गया था। तो इन पांचोने कहा की हमें पैसे नहीं मिले। फिर पुलिस को पूछा गया की बैग किधर गया क्यों की पुलिस भी वह मौजूत थी। पुलिस ने कहा की नहीं पैसा का कोई पता नहीं। पुलिस का जवाब ये भी आया की नहीं पैसे ही नहीं थे।
इत्तेफाक की बात ये है। जो संदीप की बहन है उसने मिडिया पे जो कहना शुरू कर दिया तो उसपे भी दबाव डालने लगे। की कहा गया की आप ये कहे आपने कोई ३० लाख नहीं दिए हम आपके भाई को ढूंढ लेंगे हमारे भी इज्जत की बात है। उस बहन ने विडिओ में ये बात कह दी। हमने कोई पैसे नहीं दिए, लेकिन पहले मिडिया पे बताया था हमारे पुरे पैसे गए हम लूट गए बर्बाद हो गए। अब जब ये बात आ गई तब पुलिस भी कहने लगे देखो उसकी बहन ने भी कहा है की हमने कोई पैसे नहीं दिए वो खुद ऐसा बता रही है। तो मिडिया ने अपना स्टैंड लिया कहा की देखिये पहले तो आपने कहा ३० लाख दिए अब कह रही है नहीं दिए। तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। लेकिन जब ये बात तै हो गई थी जिसके लिए सारी लड़ाई चल रही थी जो भाई जिसकी जिंदगी अब नहीं रही। तो बहन खुल कर सामने आई। उसने कहा। की हम पे दबाव डाला गया पुलिस की तरफ से कहा गया की अप पैसे की कोई बात न करे इसीलिए हमने ऐसा कहा था जबकि हमने ३० लाख रुपये दिए थे। लेकिन इसमें भी पुलिस या बहन की बात सच्ची या झूटी हो सकती है।
क्रिमिनल या किड्नेपारोंका कहना था हमने कोई पैसे नहीं लिए। यहांकी जो S S P है अपर्णा गुप्ता उनके रिकॉर्ड है। उनसे पूछा गया की ३० लाख और बैग तो उन्होंने कहा ये सब बकवास है ऐसा कोई पैसो का बैग नहीं दिया गया। इसके बाद इंटर व्हिव ख़तम होता है। लेकिन कुछ लोगोंका कैमरा चालू था। आवर उन्हें लगा की कैमरा सब बंद हो गए है। उसके बाद वो बोलना शुरू हो जाती है। कहती है वो बैग लेकर गए , हमने उनसे कहा था तुम्हारे भाई से बात जब तक नहीं करते बैग मत फेकना। उस बेवखुप ने बैग फिंक दिया। आवर वो इतना निचे था पुलिस ऊपर थी घूम के जाना था जाने में देर लग गयी ये वो एक्सेप्ट कर गई। रिकॉर्ड पर आ गया फिर कहती है। बैग नहीं थे पैसे नहीं थे।
अब केस भी खुल गया। किडनेपर ने मर भी दिया संदीप को , किडनेपर को पैसे भी नहीं मिले। पुलिस के मौजूद गी में फॅमिलिने ३० लाख का बैग भी फेका था वो बैग भी गायब। तो अब सवाल है की फिरौती के ३० लाख रुपये गए कहा ?
इस साजिस में दो महिला और तीन पुरुष थे महिला प्रीति और नीलू पुरुष रामजी , कुलदीप , दयानेद्र यादव थे।
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